नए की चाह लेकिन पुराने से आसक्ति || आचार्य प्रशांत (2018)

2019-11-25 1

वीडियो जानकारी:

शब्दयोग सत्संग, पार से उपहार
१७ नवम्बर, २०१८
दिल्ली

प्रसंग:
मन चाहकर भी क्यों नहीं बदल पाता?
पुरानी आदतें आसानी से क्यों नहीं छूटती हैं?
पुराने से आसक्ति कैसे हटाए?
क्या पुराने आदतें को छोड़ना आवश्यक है?
आदत के सामने विवेक विवश होता क्यों दिखाई पड़ता है?
हम सोचते हैं खुद को बदलना है मगर बदल क्यों नहीं पाते हैं?
हमारी दिनचर्या में चाह कर भी बदलाव क्यों नहीं आ रहा?
क्या दिनचर्या को बदला जा सकता है?
अपनी दिनचर्या को बदलने के लिए क्या उपाय करना चाहिए?
क्या करें जब नए की चाह तो हो, लेकिन पुराने से आसक्ति भी गहन हो?